भगवद् गीता में स्थितप्रज्ञ शब्द का प्रयोग एक ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जो समस्त परिस्थितियों में स्थिर बुद्धि वाला होता है। वह सुख-दुख, लाभ-हानि, जीत-हार आदि में विचलित नहीं होता और सदैव समभाव बनाए रखता है। स्थितप्रज्ञ के कुछ प्रमुख लक्षण: गीता में स्थितप्रज्ञ की विशेषताएं: निष्कर्ष: गीता में स्थितप्रज्ञ को जीवन […]
गीता में स्थितप्रज्ञ:
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